वातायनासन

वातायनासन, जिसे हॉर्स पोज के रूप में भी जाना जाता है, एक योग आसन है जो शरीर में पहले से ही विकसित लचीलेपन की काफी मात्रा की मांग करता है। इसमें पैरों और शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को खींचना शामिल है।

यह आसन घोड़े के चेहरे जैसा दिखता है इसीलिए अंग्रेजी में आमतौर पर इसे हॉर्स पोज कहा जाता है। मूल रूप से यह एक संतुलन मुद्रा है, जो क्वाड्स, ग्लूट्स और आंतरिक जांघ की मांसपेशियों को लक्षित करता है।

वातायनासन करने के चरण  

  • ताड़ासन (पहाड़ी मुद्रा) से, एक पैर को अर्ध पद्मासन (आधा कमल मुद्रा) में दूसरी जांघ के ऊपर लाया जाता है।
  • खड़े पैर का घुटना तब तक झुकता है जब तक कि दूसरा घुटना फर्श पर न पहुंच जाए और शरीर का वजन संतुलित न हो जाए।
  • बाहें ऊपर की ओर इशारा करते हुए उठती हैं, और एक दूसरे के चारों ओर लपेटती हैं ताकि एक कोहनी दूसरी कोहनी में टेढ़ी हो जाए।
  • शीर्ष पर स्थित हाथ उस पैर के अनुरूप होना चाहिए जो आधे कमल में मुड़ा हुआ है।
  • अपने सिर और गर्दन को रिलैक्स रखें ।
  • कुछ गहरी सांसों के लिए मुद्रा को बनाए रखें, फिर अपने घुटनों को मोड़कर और टेबलटॉप स्थिति में आकर रिलीज करें।

ध्यान दे: शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल होगा और घुटनों में दर्द होगा। अभ्यास से, दर्द गायब हो जाता है और संतुलन प्राप्त हो जाता है।

वातायनासन के लाभ (Horse Face Pose benefits in Hindi )

  • पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों को स्ट्रेच करता है: वातायन आसन पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों में तनाव और जकड़न को दूर करने में मदद कर सकता है, लचीलेपन में सुधार कर सकता है और चोट के जोखिम को कम कर सकता है।
  • पैरों को मजबूत करता है: मुद्रा क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और बछड़े की मांसपेशियों को काम करती है, जिससे पैरों को टोन और मजबूत करने में मदद मिलती है।
  • पाचन में सुधार करता है: मुद्रा पाचन को उत्तेजित करने और कब्ज से छुटकारा पाने में मदद कर सकती है।
  • रक्त परिसंचरण में सुधार: विशेष रूप से यह कूल्हे क्षेत्र के माध्यम से रक्त के उचित प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।
  • मन को शांत करता है: वातायन आसन मन को शांत करके और विश्राम की भावना को बढ़ावा देकर तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।
  • चक्र को उत्तेजित करता है: वातायनासन स्वाधिष्ठान (तिल्ली या त्रिक) चक्र को उत्तेजित करता है, जो जुनून और आनंद का केंद्र है।
  • फोकस बढ़ाता है: मुद्रा सांस और शरीर के प्रति जागरूकता लाकर फोकस और एकाग्रता को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।

वातायनासन में सावधानी

  • घायल घुटने, कूल्हे या टखने और साइटिका या स्लिप डिस्क में वातायन का अभ्यास करने से बचें।
  • यदि आप गर्भवती हैं, तो वातायनासन का अभ्यास करने से बचें।

निष्कर्ष

वातायनासन एक संतुलित आसन है जो दिखने में गरुड़ासन (ईगल पोज़) और अर्ध पद्मासन (आधा कमल मुद्रा) का संयोजन दिखता है। इसके विभिन्न लाभ इस आसन की क्षमता को सिद्ध करते हैं। विशेष रूप से क्वाड्स, ग्लूट्स और आंतरिक जांघों की मांसपेशियों को लक्षित करता है।

 

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